पृष्ठ

शनिवार, 21 दिसंबर 2013

कैंची

          कैंची

बहुत दिनों के बाद ,मूड लिखने का आया
चलो  बतादूँ सबको दो टांगों  की     माया
टांगें दोनों तेज मगर वो कतराती है
बिना हाथ का साथ लिए ना चल पाती है
इससे ये न समझ लेना वो चौपाया है
नहीं खुदा ने रचा,हमी ने बनवाया है
उंगली और अंगूठे की शौक़ीन बहुत है
सुन्दर है,कुछ मोटी है कुछ क्षीण बहुत है
लेकिन ये है जब भी साथ हाथ का पाया
तब दोनों मिल गयी ,बीच में जो भी आया
कट जाता है बेचारा ,बिन खेंचा खेंची
हाँ जनाब हैम सब उसको कहते है कैंची
यह दो टांगों का कातिल ,कितना उपयोगी
इससे अच्छी ,शायद कोई चीज न होगी
इसने चल कर ,मानव जीवन ,बहुत संवारा  
ये जब चलती है ,कितनो को मिले सहारा
खुद चल कर ,कितनो का ही है काम चलाती
अरे  कई  कामो  में है       यह कैंची आती
दरजी की दूकान चल रही कैची के बल
नाई का सब काम चलाती ,कैंची केवल
हम सब यूं जो चलते फिरते ,बने ठने है
 आदिम युग ,हमें यहाँ लाया किसने है
किस से हमने आज सभ्यता ,ये जानी है
मित्रों ये सब कैंची की मेहरबानी है
हमको 'अप टु डेट' बनाया  है कैंची ने
सचमुच इतना ग्रेट बनाया है कैची ने
आती काम ऑपरेशन के ,अस्पताल में
कितने बीमारों को लाती ठीक हाल में
परिवार नियोजन में ये बड़ी सहायक है
मैं कहता ,यह राष्ट्र चिन्ह के लायक है
बढे हुए नाखून,काट लो , तुम कैंची से
मूंछों के भी बाल ,छाँटलो ,तुम कैची से
कैंची वाला दांव ,जिताता पहलवान को
कैंची चला रही है कपडे की दूकान को
पनवाड़ी के सड़े पान ,सब छांटे कैंची
बागीचे कि बढ़ी पत्तियां,छांटे कैंची
कागज़ काटो,फूल पत्तियां खूब बनाओ
नाड़ा नहीं खुल रहा ,काटो,कैंची लाओ
कैंची हाथों में हो,बंधन हट जाता है
लोहे की कैंची से लोहा कट जाता है
उदघाटन करने वाला औजार यही है
जेब काटने वालों का हथियार यही है
भली भलों के  ,बुरों के लिए बुरी है
अच्छी है तो जीवन दाता ,बुरी छुरी  है
बड़े बड़ों का बिगड़ा हाल बना देती है
ये साड़ी तक को रूमाल बना देती है
कवि लेखक या आलोचक यदि जो बनना हो
मेरी मानो बात दोस्तों ,कैंची लाओ
कटिंग इधर से ,थोड़ी कटिंग उधर से काटो
चिपका कागज़ पर ,अपने नामो छपवा दो
बन बैठे है ,कितने ही लेखक कैंची से
बनी साधना ,काट 'साधना कट 'कैंची से
कैंची केश सँवारे ,फेशन की ये जननी
ब्लाउज बाहें,'लोअर नेक 'इसी ने करनी
सबसे बड़ा पाठ ये सिखलाती है कैंची
नहीं अकेला ,कोई कर सकता है कुछ भी
एक एक मिल ,यदि उलटे भी चल जाते है
तो दुनिया के कितने झंझट  कट जाते है
ये गुण दो टांगों की कैची में पाओगे
एक टांग की कैंची देखो,चकराओगे
क्योंकि नहीं है केवल इसका काम काटना
बल्कि बना कर,तरह तरह की बात ,बांटना
है इतनी उस्ताद,दिमाग चाट लेती है
बड़े बड़ों के भी ये कान काट लेती   है
ये जब चलती ,कोई नहीं रोक पाता  है
और रोकने वाला कट कर रह जाता है
हाथ ,पाँव या बिन बिजली के चलनेवाली
एक टांग की कैंची है ये बड़ी निराली
नारी इसे चलाने में ,पूरी माहिर है
जी हाँ ,यह कैची जुबान है,जग जाहिर है
कैंची सी जुबान चलती है,सब डरते है
लेकिन फिर भी प्यार उसी से सब करते है
कैंची बड़ी महान,चीज बेकार नहीं है
कैंची अगर नहीं ,कुछ भी संसार नहीं है

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।