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गुरुवार, 4 जुलाई 2013

इस सदी की त्रासदी

      
          इस सदी की त्रासदी 
किससे हम शिकवा करें,और करें अब किससे गिला
हमारी गुश्ताखियों का ,हमको  एसा  फल मिला 
खुदा ने नदियां बनाई ,हमने रोका बांध कर,
बारूदों से ब्लास्ट कर के ,दिये सब पर्वत हिला 
इस तरह पर्यावरण के संग मे की छेड़ छाड़ ,
हो गयी नाराज़ कुदरत ,और उसने तिलमिला 
नदी उफनी,फटे बादल,ढहे पर्वत इस कदर,
कहर टूटा खुदा का ज्यों आ गया हो जलजला 
हजारों घर बह गए और कितनी ही जाने गयी,
भक्ति,श्रद्धा ,आस्था को ,दिया सब की ही हिला 
देखते ही देखते बर्बाद सब कुछ हो गया ,
मिला हमको ,हमारी ही ,हरकतों का ये सिला 
होता व्यापारीकरण जब,आस्था विश्वास का,
शुरू हो जाता है फिर बरबादियों का सिलसिला 

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'  

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