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रविवार, 7 अप्रैल 2013

वक़्त

         वक़्त
नचाता   अपने  इशारों  पर  हमें  ये  वक़्त है
ये किसी पर मुलायम है और किसी पर सख्त है 
बदल देता एक पल में ,आपकी तकदीर को,
ये कभी रुकता नहीं है ,ये बड़ा कमबख्त   है
बहुत कहती घडी टिक टिक ,मगर ये टिकता नहीं,
ना किसी से द्वेष रखता ,और ना अनुरक्त है
इसका रुख ,सुख दुःख दिलाता ,ख़ुशी लाता और गम ,
दिला देता ताज ओ तख़्त ,हिला  देता  तख़्त है
'घोटू' इस पर  जोर कोई का कभी चलता नहीं,
इसके आगे ,आदमी क्या है ,खिलोना फक्त है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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