जूते चोर हमारे यहाँ भी है।
वाह...सुंदर
लेखनी के वीर |व्यंग्य के तीर -छोड़ कर घायल करते हैं-'सुस्ती'के दुश्मन को|गुदागुगाते हैं ये मन को ||
dhanywaad
Superb👌👌👌👌👌
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।
जूते चोर हमारे यहाँ भी है।
जवाब देंहटाएंवाह...सुंदर
जवाब देंहटाएंलेखनी के वीर |
जवाब देंहटाएंव्यंग्य के तीर -
छोड़ कर घायल करते हैं-
'सुस्ती'के दुश्मन को|
गुदागुगाते हैं ये मन को ||
dhanywaad
जवाब देंहटाएंSuperb👌👌👌👌👌
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