पृष्ठ

रविवार, 21 अक्टूबर 2012

गुलाबी ठंडक-गुलाबी मौसम

      गुलाबी ठंडक-गुलाबी मौसम

बदलने मौसम लगा है आजकल,,

                          शामो-सुबह ,ठण्ड थोड़ी बढ़ रही
दे रही है रोज दस्तक सर्दियाँ,
                          लोग कहते ठण्ड गुलाबी  पड़ रही
रूप उनका है गुलाबी फूल सा,
                           पंखुड़ियों से अंग खुशबू से भरे
देख कर मन का भ्रमर चचल हुआ,
                           लगा मंडराने,करे तो क्या करे
हमने उनको जरा छेड़ा प्यार से,
                            रंग गालों का गुलाबी हो गया
नशा महका यूं गुलाबी सांस का,
                           सारा मौसम ही शराबी हो  गया
आँख में डोरे गुलाबी प्रिया के,
                           तो समझलो चाह है अभिसार की
लब गुलाबी जब लरजते,मदमदा ,
                           चौगुनी  होती है लज्जत प्यार की
मन रहे अब हर दिवस त्योंहार है,
                           रास,गरबा,दिवाली  और दशहरा
हो गुलाबी ठण्ड समझो आ गया,
                            प्यार का मौसम सुहाना ,मदभरा

मदन मोहन बाहेती'घोटू'  

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।