पृष्ठ

शनिवार, 29 सितंबर 2012

याद रखे दुनिया ,तुम एसा कुछ कर जाओ

 याद रखे दुनिया ,तुम एसा कुछ कर जाओ

तुम्हारा चेहरा ,मोहरा और ये आकर्षण

सुन्दर सजे धजे से कपडे या आभूषण
रौबीला व्यक्तित्व,शान शौकत तुम्हारी
धन ,साधन और ये दौलत सारी की सारी
ये गाडी ,ये बंगला और ये रूपया ,पैसा
रह जाएगा पड़ा यूं ही,वैसा का वैसा
साथ निभाने वाला कुछ भी नहीं पाओगे
खाली हाथ आये थे,खाली हाथ  जाओगे
नहीं रख सकोगे तुम ये सब,संग संभाल कर
एक दिन बन तस्वीर ,जाओगे टंग दीवाल पर
तुमने क्या ये कभी शांति से बैठ विचारा
तुम क्या हो और कब तक है अस्तित्व  तुम्हारा
झूंठी शान और शौकत पर मत इतराओ
याद रखे दुनिया, तुम एसा कुछ कर जाओ
मोह और माया के बंधन से आकर बाहर
अपनी कोई अमिट छाप छोडो  धरती पर
तुम्हारी भलमनसाहत और काम तुम्हारा
मरने पर भी अमर रखेगी,नाम तुम्हारा

मदन मोहन बाहेती'घोटू'  


2 टिप्‍पणियां:

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।