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बुधवार, 15 अगस्त 2012

सवेरे सवेरे नींद बड़ी जोर से आती है

सवेरे सवेरे नींद बड़ी जोर से आती है

बेटियां,

यूं तो माइके में,नोर्मल सी ,
हंसी ख़ुशी रहती है,
पर गले मिल मिल कर रोती है,
जब ससुराल जाती है
राजनेतिक पार्टियाँ,
यूं तो दुनिया भर के टेक्स लगाती है,
पर चुनाव के पहले,
राहत का अम्बार लुटाती,
सुनहरे सपने दिखाती है
दीपक की लौ ,
यूं तो नोर्मल सी जलती रहती,
पर जब बुझने को होती,
बहुत चमक देती है,
फडफडाती है
वैसे ही नींद सारी रात ,
यूं ही आती जाती रहती है ,
पर  सुबह जब,
 उठने का समय होता है
सवेरे नींद बड़ी जोर से ही आती है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

2 टिप्‍पणियां:

  1. सच में ये कुछ कडवी सच्चाइयां हैं ----बहुत अच्छा लिखा --बहुत बहुत बधाई

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  2. वाह जी वाह क्या घोटा है
    जरा सा नार्मल कब हो
    जाता है ऎबनार्मल
    और हो जाता लोटा है !

    जवाब देंहटाएं

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