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मंगलवार, 14 अगस्त 2012

एक कतरा लहू का मेरे बस देश के काम आये


नहीं चाहता मखमल के गद्दे में मुझको आराम आये,
नहीं चाहता व्यापार में मेरा कोई बड़ा दाम आये,
चाहत मेरी बड़ी नहीं बस छोटी सी ही है,
एक कतरा लहू का मेरे बस देश के काम आये |
                                          
नहीं चाहता लाखों की लौटरी कोई मेरे नाम आये,
नहीं चाहता खुशियों भरा बहुत बड़ा कोई पैगाम आये,
ख्वाहिश मेरी ज्यादा नहीं बस थोड़ी सी ही है,
एक कतरा लहू का मेरे बस देश के काम आये |

नहीं चाहता मधुशाला में मेरे लिए अच्छा जाम आये,
नहीं चाहता फायदा भरा बहुत बड़ा कोई काम आये,
सपने  मेरे अनेक नहीं बस एक ही तो है,
एक कतरा लहू का मेरे बस देश के काम आये |

नहीं चाहता प्रसिद्धि हो, नाम मेरा हर जुबान आये,
नहीं चाहता जीवन में कोई अच्छा बड़ा उफान आये,
इश्वर से दुआ मेरी बस इतनी सी ही है,
एक कतरा लहू का मेरे बस देश के काम आये |

नहीं कोई देशभक्त बड़ा मैं, नहीं देश का लाल बड़ा,
पर दिल में एक ज्वाला सी है, देश हित करूँ कुछ  काम बड़ा,
भारत माँ के चरणों में नत एक बात मन में आये,
एक कतरा लहू का मेरे बस देश के काम आये |

2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर देश भक्ति के इस जज्बे को सलाम स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं|

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  2. गुलामी मानसिकता धारण करनेवाले के लिए आजादी का कोई मतलब होता भी नहीं .... जय हिंद....वन्दे मातरम....!!

    "कहने" को तो हो गए, हम सब स्वाधीन
    इसी मृगतृष्णा में ही, भटक रहे लवलीन

    आज तो भ्रष्ट ही, कहलाता देश का सेवक
    भले वही इसको, चाट खाए है ज्यों दीमक

    मुल्क बदस्तूर कह रहा, मैं हूँ हिन्दुस्तान
    सौ में नब्बे बेईमान, फिर भी मैं हूँ महान

    भ्रष्टाचारी तंत्र में, जकड़ा हिन्दुस्तान .... फिर भी मन ये ही कहे, मेरा देश महान :~~

    जय हिंद....वन्दे मातरम....!!
    जय हिंद....वन्दे मातरम....!!
    जय हिंद....वन्दे मातरम....!!



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