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मंगलवार, 26 जून 2012

नाम पर मत जाओ

       नाम पर मत जाओ

सूर है सूरज में,सूर याने चक्षु हीन,

     सबको पथ दिखलाता,जग मग कर के  जगती
सूरज में रज भी है,रज याने धूलि कण,
    जा न सके सूरज तक, बहुत दूर   है धरती
  इसीलिये कहता हूँ,नाम पर मत जाओ,
        डंक बड़ा चुभता है,पर बजता है डंका
नाम भ्रमित करते है,माला के दाने का,
      वजन एक माशा है,पर कहलाता  मनका


मदन मोहन बाहेती'घोटू'    

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