लिख रहीं हूँ एक ग़ज़ल मैं ,
आवाज दे अपनी सामने लाऊँगी
तैयार कर धुन उसकी
सबको वो ग़ज़ल सुनाऊंगी
अभी तो लिख रही हूँ फिर
बाद परीक्षा के सुना पाऊँगी
लिख रहीं हूँ एक ग़ज़ल मैं
आवाज़ दे अपनी सामने लाऊँगी
कुछ महकी बात सुनाऊंगी
कुछ हँसाती सी कुछ रुलाती सी
वो ग़ज़ल जल्द ही ले आऊँगी
थोडा इंतज़ार कर लीजिये
फिर तो इसकी धुन मैं
आपके कानों तक पहुंचाऊँगी
बस मैं गुनगुनाती जाऊँगी
लिख रहीं हूँ एक ग़ज़ल मैं
आवाज़ दे अपनी सामने लाऊँगी
तो मिलते हैं परीक्षा के बाद !!!!!!!!
- दीप्ति शर्मा
अच्छी रचना और शब्द चयन |
जवाब देंहटाएंआशा
बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति । मेर नए पोस्ट पर आकर मेरा मनोबल बढ़एं । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंअच्छी ग़ज़ल।
जवाब देंहटाएंBehtarin Rachna.
जवाब देंहटाएंबहुत ही मासूमियत है इस ग़ज़ल में .
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