कभी साबुन की बट्टी था, भरा खुशबू से जीवट मैं
घिसा तुमको सजाने में ,रह गया एक चीपट मै
काम आऊंगा मैं अंत तक, रखोगे चिपका जो मुझको,
अकेला छोड़ा तो गल कर, निपट जाऊंगा झटपट मैं
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।
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