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सोमवार, 24 मार्च 2025

मुक्तक 1 नहीं कुछ हाथ लगना है, तो गम खाने से क्या होगा जहां ना दाल गलनी है ,वहां जाने से क्या होगा यही वह सोच है जो रोकती है, हमको पाने से, चुग गई खेत जब चिड़िया, तो पछताने से क्या होगा 2 सकेगा रोक ना कोई ,लिखा होगा जो किस्मत में परेशान व्यर्थ होते हो, किसी की यूं ही चाहत में अगर जो ना मिला कोई, तुम्हें जीते जी दुनिया में तुम्हारी चाह,बन कर हूर, मिल जाएगी जन्नत में 3 जवानी जब ढलेगी तो , बुढ़�



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