बदलता हुआ मौसम और तुम
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उन दिनों आम का मौसम था,
जब गर्मी से,कुम्हला गए थे गाल तुम्हारे ,
और उनकी रंगत हो गयी थी,
आम जैसी पीली पीली और स्वर्णिम
अब सेवों का मौसम आगया है,
और अब सर्द हवाओं की छेड़छाड़ ने,
तुम्हारे गालों में भर दिया है,
गुलाबी रंग,
और अब तुम्हारे गालों की रंगत है,
सेव जैसी लाल लाल और रक्तिम
मौसमी फलों की तरह,
तुम भी रंग बदलती रहती हो,
गर्मी में गरम लू के थपेड़ों की तरह,
तो सर्दी में शीतल हवाओं की तरह बहती हो
मेरी हमदम,
नया स्वाद और नूतन रंगत,
मौसम के संग,तुममे हर दम
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
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उन दिनों आम का मौसम था,
जब गर्मी से,कुम्हला गए थे गाल तुम्हारे ,
और उनकी रंगत हो गयी थी,
आम जैसी पीली पीली और स्वर्णिम
अब सेवों का मौसम आगया है,
और अब सर्द हवाओं की छेड़छाड़ ने,
तुम्हारे गालों में भर दिया है,
गुलाबी रंग,
और अब तुम्हारे गालों की रंगत है,
सेव जैसी लाल लाल और रक्तिम
मौसमी फलों की तरह,
तुम भी रंग बदलती रहती हो,
गर्मी में गरम लू के थपेड़ों की तरह,
तो सर्दी में शीतल हवाओं की तरह बहती हो
मेरी हमदम,
नया स्वाद और नूतन रंगत,
मौसम के संग,तुममे हर दम
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
सुन्दर श्रृंगार ....
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