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ब्लॉग"दीप"
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मेरा काव्य-पिटारा
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शनिवार, 29 अक्टूबर 2022
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बदलते हालात दो महीने की बिमारी ने, हुलिया मेरा ऐसा बदला कल तक था मैं मोटा ताजा, आज हो गया दुबला पतला एसी पीछे पड़ी बिमारी कमजोरी से त्रस...
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मतलबी यार सदा बदलते रहते वो रुख, उल्टे बहते है मतलब हो तो गदहे को भी चाचा कहते हैं रहते थे हरदम हाजिर जो जान लुटा ने को वक्त...
शुक्रवार, 28 अक्टूबर 2022
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अग्नि पूजन दीपावली ,दशहरा ,होली, है ये उत्सव प्रमुख हमारे बड़े चाव उत्साह लगन से इन्हें मनाते हैं हम सारे दीपावली को दीप जलाते ...
मंगलवार, 25 अक्टूबर 2022
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प्रतिबंधित जीवन मुझको मेरी बीमारी ने ,कैसे दिन दिखलाए ये मत खाओ,वो मत खाओ ,सौ प्रतिबंध लगाये जितना ज्यादा प्रतिबंध है , उतना मन ललचाए...
1 टिप्पणी:
रविवार, 9 अक्टूबर 2022
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मास्क चढ़ा है असली चेहरा नजर न आता हर चेहरे पर मास्क के चढ़ा है मुंह से राम बोलने वाला , छुरी बगल के लिए खड़ा है ऊपर जो तारीफ कर रहा प...
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