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मेरा काव्य-पिटारा
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गुरुवार, 30 सितंबर 2021
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लकीरे चित्रकार के हाथों जब लकीरे उकरती है तो कैनवास पर जागृत हो जाती है एक सूरत किसी नक्शे की लकीरे,जब दीवारें बन कर उगती है तो खड़ी हो ...
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बुधवार, 29 सितंबर 2021
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गुब्बारे भैया हम गुब्बारे हैं भरी हवा है, फूल रहे हम मगर गर्व के मारे हैं भैया हम गुब्बारे हैं अभी जवानी है, तनाव है,चमक दमक चेहरे पर है...
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मेरी दादी आज अचानक याद आ गई मुझको मेरी दादी की नेह भरी, प्यारी, मुस्काती, निश्चल सीधी-सादी की गोरा चिट्टा गोल बहुत था, जब हंसती मुस्कुरा...
रविवार, 26 सितंबर 2021
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क्यों जिसमें होती अक्ल जरा कम , उसे कम अक्ल कहते हैं सब, तो क्यों मंद अक्ल वाले को कहते अकलमंद और ज्ञानी कलम रखो वह कलमदान है, ...
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प्रतिबंधित जीवन प्रतिबंधों के परिवेश में ,जीवन जीना बहुत कठिन है बात बात में ,मजबूरी के ,आंसूं पीना बहुत कठिन है रोज रोज पत्नीजी हमको ,...
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