पृष्ठ
(यहां ले जाएं ...)
काव्य संसार (फेसबुक समूह)
काव्य संसार (फेसबुक पृष्ठ)
हिंदी
मेरा फेसबुक पृष्ठ
ब्लॉग"दीप"
चर्चा मंच
नयी पुरानी हलचल
मेरा काव्य-पिटारा
▼
सोमवार, 28 जनवरी 2019
›
अनमना मन स्मृतियों के सघन वन में , छा रहा कोहरा घना है आज मन क्यों अनमना है नहीं कुछ स्पष्ट दिखता मन कहीं भी नहीं टिकता उमड़ती है भावना...
›
तिल ये मनचले तिल होते है बड़े कातिल यहाँ,वहां , जहां मन चाहा ,बैठ जाते है कभी गालों पर , कभी होठों पर , उभर कर ,इतराते हुए ,ऐंठ जाते है ...
›
बुढ़ापा ठोकर खाखाऔर संभल संभल , अनुभव में इजाफा होता है होता है हमें नुक्सान कभी ,तो कभी मुनाफा होता...
›
श्री पत्नी आराधना मंत्रं या देवी सर्वभूतेषू ,पत्नी रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै ,नमस्तस्यै ,नमस्तस्यै ,नमोनमः सर्व मंगलमांगल्ये ,प्रिये स...
शुक्रवार, 25 जनवरी 2019
›
हमें डायबिटीज हो गयी है तुम्हारे वादे गुलाबजामुन की तरह है जिनमे न गुलाब की खुशबू है न जामुन का स्वाद सिंथेटिक मावे के बने गुलाबजामुन हमें ...
1 टिप्पणी:
‹
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें