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बुधवार, 31 जनवरी 2018
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शिष्टाचार का मारा मैं बेचारा शिष्टाचार का मारा कितनी ही बार मैंने सही है इस शराफत की मार शिष्टाचार वश अपनी सीट को , किसी महिला या बुज...
1 टिप्पणी:
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लंगोटिया यार कभी जो हमारा लंगोटिया यार था हमारे लिए मरने मिटने को तैयार था आजकल वो बड़ा आदमी बन गया है थोड़ा गरूर से तन गया है उसने लंगोट...
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प्रभु सुमिरण १ भरी ताजगी हो सुबह ,और सुहानी शाम ये जीवन चलता रहे,हंसी ख़ुशी, अविराम मेहनत ,सच्ची लगन से ,पूरे हो सब काम भज ले राधेश्याम ...
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जवानी का हुनर -बुढ़ापे की गुजर १ कभी सजाये इन्हे नेल पॉलिश रंग कर कभी चुभाये मद विव्हल , तंग कर कर इन्ही नखों को , मेरे काम भी लाओ तु...
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दूर की सोचो भले तितलियाँ आये ,फुदके हजारों , भले सैकड़ों ही भ्रमर गुनगुनाये मधुमख्खियों को न दो पर इजाजत , कभी भूल कर भी ,चमन में वो आये ...
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