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बुधवार, 31 जनवरी 2018

जवानी का हुनर -बुढ़ापे की गुजर 

१ 
कभी सजाये इन्हे नेल पॉलिश  रंग कर  
कभी चुभाये मद  विव्हल , तंग कर कर 
इन्ही नखों को , मेरे  काम भी लाओ तुम 
आओ ,बैठ कर ,मेरी पीठ ,खुजाओ तुम 
२ 
गोरे गोरे  हाथ रंगे     मेंहदी  रंग में 
होंठ सुहाने रंगे  लिपस्टिक के संग में 
ओ  रंगरेज ,मुझे निज रंग  रंगने वाले 
आओ बैठो,बाल  रंगो , मेरे  काले  
३ 
डाल रूप का जाल ,फंसाया बहुत मुझे 
मुझ पर प्रेशर डाल ,दबाया बहुत मुझे 
यह दबाब का हुनर आज दिखला दो तुम 
पाँव दर्द करते है ,जरा दबा दो  तुम 
४ 
जो भी मैंने बात कही ,तुमने काटी 
तूतू मैमै  करी ,उम्र अब तक काटी 
बहुत झुका ,अब सांस फूलती झुकने पर 
पावों के नाखून काट दो, तुम डियर 

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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