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मेरा काव्य-पिटारा
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रविवार, 31 जुलाई 2016
बदलाव
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बदलाव चुगते थे कबूतर जो दाना ,आकर के अटारी पर मेरी, वो स्विमिंग पूल के तट पर जा ,निज प्यास बुझाया करते है जो आलू परांठा खाते थे, घर के मख्खन...
हाथी पादा
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हाथी पादा सब इन्तजार में बैठे थे ,हाथी पादेगा ,पादेगा इतना विशाल प्राणी है तो वो वातावरण गुंजा देगा लेकिन जब हाथी ने पादा,तो...
कुछ चोर तुम्हारे है मन में
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कुछ चोर तुम्हारे है मन में ना आता नृत्य तुम्हे ,बतलाते टेडापन है आंगन में तुम सबको चोर समझते हो ,कुछ चोर तुम्हारे है मन में तुम ह...
तू तड़ाक
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तू तड़ाक वो तू तड़ाक पर उतर गए,मैंने जो उनको 'तू' बोला बोले बेइज्जत किया हमे ,तुमने जो हमको 'तू 'बोला म...
गुरुवार, 28 जुलाई 2016
कविता की बरसात
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कविता की बरसात बात बचपन की करें क्या ,वो जमाना और था जवानी में, सर पे ,जिम्मेदारियों का जोर था हुए चिता मुक्त हम जब बच्चे सेटल हो गए ...
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