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मेरा काव्य-पिटारा
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मंगलवार, 29 मार्च 2016
तू ही रहे साथ मेरे
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आह! दुनिया नहीं चाहती मैं, मैं बनकर रहूँ वो जो चाहती है, कहती हैं, बन चुपचाप रहूँ होठ भींच, रह ख़ामोश, ख़ुद से अनजान रहूँ ...
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रविवार, 27 मार्च 2016
होलिका दहन
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होलिका दहन एक हसीना थी बड़ी नाजनीना थी जलवे दिखाती थी सबको जलाती थी करती थी ठिठोली नाम था होली उसको था वरदान कोई भी इंसान उसका संग पायेगा ...
भिक्षामदेही
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भिक्षामदेही तुम कोमलांगिनि ,मृदुदेही है हृदय रोग , मै मधुमेही मै प्यार मांगता हूँ तुमसे , भि...
बुधवार, 23 मार्च 2016
गोबर की अहमियत
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गोबर की अहमियत हमारी जिंदगी में कदर कितनी गाय भेंसों की , एक छोटे से उदाहरण से ,समझ सब आप सकते है करे इंसान विष्टा तो,बहा दी जाती ह...
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न रंग होली के फागुन में
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न रंग होली के फागुन में लड़कियां देख कर 'घोटू' बहुत फिसले लड़कपन में हुई शादी, हसरतें सब, रह गई ,मन की ही मन में किसी को ताक ना...
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