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रविवार, 31 जनवरी 2016
गुमसुम सा ये शमाँ क्यों है
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गुमसुम सा ये शमाँ क्यों है, लफ्जों में धूल जमा क्यों है, आलम खामोशी का कुछ कह रहा, अपनी धुन में सब रमा क्यों है.. डफली अपनी, अपन...
4 टिप्पणियां:
बुधवार, 27 जनवरी 2016
कैसा तेरा प्यार था
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(तेजाब हमले के पीड़िता की व्यथा) कैसा तेरा प्यार था ? कुंठित मन का वार था, या बस तेरी जिद थी एक, कैसा ये व्यवहार था ? माना...
मंगलवार, 26 जनवरी 2016
परिंदे
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परिंदे वो परिंदे ,राजपथ पर ,उड़ते थे जो शान से , आजकल मेरी गली में ,नज़र वो आने लगे है चुगा करते थे कभी जो ,चुन चुन के ,म...
माँ की पीड़ा
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माँ की पीड़ा बेटे ,जब तू रहा कोख में ,बहुत सताया करता था मुझको अच्छा लगता था जब लात चलाया करता था और बाद ...
अपहरण
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अपहरण मैंने थाने में लिखाई ये रपट , चार दिन से हुआ सूरज लापता दरोगा ने मुझसे ये दरयाफ्त की ,अकेला या गया कुछ ...
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