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सोमवार, 28 सितंबर 2015
चक्कर चुनाव का
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चक्कर चुनाव का खुद आये है हार पहन कर , और कहते है हमें जिता दो हाथ जोड़ मनुहार कर रहे, अबके नैया पार लगा दो पार्टी और न निशान देखिये बस ...
प्रताड़ना
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प्रताड़ना मेरे अंतर्वस्त्रों में क्या झांक रहे हो, अपने अंतर्मन में जरा झाँक कर देखो मैं सोने की,मेरा मूल्य आंकते हो क्या , ...
आरक्षण के पौधे
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आरक्षण के पौधे वर्ण व्यवस्था के चक्कर में ,बरसों तलक गये रौंदे है हम आरक्षण के पौधे है अब तक दबे धरा के अंदर , कहलाते कंद मूल रह...
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सच्चे मित्र 1 जब रहती रौशनी ,तब तक साया साथ संग छोड़ते है सभी, जब आती है रात जब आती है रात , व्यर्थ सब रिश्ते न...
ईश वंदना
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ईश वंदना हे प्रभु मुझको ऐसा वर दो मुझ में तुम स्थिरता भर दो नहीं चाहता डेढ़ ,पांच या दस दिन का मैं बनू गजानन या नौ दिन की दुर्गा बन...
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