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सोमवार, 28 सितंबर 2015

         सच्चे मित्र     
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जब रहती रौशनी ,तब तक साया साथ
संग छोड़ते है सभी, जब आती है  रात
जब आती है रात , व्यर्थ सब रिश्ते नाते
बुरे वक़्त में लोग तुम्हे पहचान न पाते
 कह घोटू कविराय ,सगा भी तुम्हे भगाये 
केवल सच्चा मित्र ,अंत तक साथ निभाये  
                 2     
कल तक तपती धूप थी ,बादल छाये आज
 बदल रहा है इस तरह ,मौसम का मिजाज
मौसम का मिजाज ,ऋतू सब आती,जाती
कभी शीत  या ग्रीष्म,कभी मौसम बरसाती
पग पग पर जो हर मौसम में साथ निभाये
कह 'घोटू 'कवि,वो ही सच्चा मित्र  कहाये

मदन मोहन बाहेती'घोटू'
             
                                             

 
 

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