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मेरा काव्य-पिटारा
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बुधवार, 15 अक्टूबर 2014
राजनीति के चश्मे से लोगों के चार प्रकार...
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वैसे तो अपन राजनीति पर बहुत कम बोलते हैं... पर जब बोलते हैं तो हमेशा अलग सुर में ही बोलते हैं... काहे से कि न तो हम कमल वाले हैं, न पंज...
चाँद- सूरज
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चाँद- सूरज आसमां में चमकते है ,सूर्य भी और चाँद भी , रोशनी दोनों में है,फिर भी जुदा कुछ बात है एक में ऊष्मा भरी है ,एक है ...
कैसे कह दूँ ?
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कैसे कह दूँ ? माना दोस्त नहीं तुम मेरे ,पर दुश्मन भी कैसे कह दूँ दो मीठी बातें करने को,मै अपनापन कैसे कह दूँ तुम हमको अच्छे लगते ह...
शाम आ रही है
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शाम आ रही है दिन ढल रहा है और शाम आ रही है, तभी साये अब लम्बे होने लगे है बदलती ही करवट ,जहाँ यादें रहती , सलवट भरे वो बिछौने ...
रविवार, 12 अक्टूबर 2014
प्यार की परिक्षा -मेंहदी
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प्यार की परिक्षा -मेंहदी अबकी बार करवाचौथ पर पत्नी ने लगाईं गुहार सुनोजी!कम होता जा रहा है आपका प्यार हमने कहा, क्या बात करती हो...
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