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हिम्मत
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सोमवार, 24 सितंबर 2012
बढ़ने चला हूँ
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आँखों में लेके एक नूर कोई, सपनों की दुनिया सच करने चला हूँ; अपनों के सपनों को दिल में लेकर, दुनिया में अपना हक करने चला हूँ | मै...
बुधवार, 8 फ़रवरी 2012
मैं पथिक
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क्यूँ चलूँ मैं ऐसे, राहों में औरों के, मैं पथिक, मुझे राह अपनी, स्वयं बनाना है । सुनना है सबकी, हर बात को लेकिन, मैं पथिक...
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मंगलवार, 7 फ़रवरी 2012
आस
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खामोश हैं निगाहें, जुबानों पे हैं ताले , घिरे हैं नकाबपोशों से, दिखते नहीं उजाले, घबराये से हैं, कोशिश है संभलने की, छंट ज...
1 टिप्पणी:
गुरुवार, 19 जनवरी 2012
सोना तो सोना ही रहेगा
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वक़्त की मार से काला पड़ गया मिटटी में दबा हुआ लोहे का टुकडा सदा सोचता था कोई उसे मिटटी से निकाले झाड पोंछ कर फिर से काम...
2 टिप्पणियां:
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