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विजय प्रकाश रतूड़ी
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बुधवार, 4 दिसंबर 2024
सपना
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गांव भरा था लोगों से। लहलहा रहे थे खेत। हर आंगन में गाय बंधी थी। बैल बंधे थे धवल सफेद। कुछ घरों में मुर्रा भैंसें। खड़ी हुई थी खाती घास...
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