पृष्ठ
(यहां ले जाएं ...)
काव्य संसार (फेसबुक समूह)
काव्य संसार (फेसबुक पृष्ठ)
हिंदी
मेरा फेसबुक पृष्ठ
ब्लॉग"दीप"
चर्चा मंच
नयी पुरानी हलचल
मेरा काव्य-पिटारा
▼
मस्लहत
लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं.
सभी संदेश दिखाएं
मस्लहत
लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं.
सभी संदेश दिखाएं
मंगलवार, 29 मार्च 2016
तू ही रहे साथ मेरे
›
आह! दुनिया नहीं चाहती मैं, मैं बनकर रहूँ वो जो चाहती है, कहती हैं, बन चुपचाप रहूँ होठ भींच, रह ख़ामोश, ख़ुद से अनजान रहूँ ...
1 टिप्पणी:
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें