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परी
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गुरुवार, 19 जनवरी 2012
परी मेरी अब सोयेगी
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रात ये कितनी बाकि है, पुछ रहा हूँ तारों से; पवन सुखद बनाने को, अब कहता हूँ बहारों से । चाँद को ही बुलाया है, निद्रासन मंगवाया...
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