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निर्जन
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मंगलवार, 29 मार्च 2016
तू ही रहे साथ मेरे
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आह! दुनिया नहीं चाहती मैं, मैं बनकर रहूँ वो जो चाहती है, कहती हैं, बन चुपचाप रहूँ होठ भींच, रह ख़ामोश, ख़ुद से अनजान रहूँ ...
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