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तुषार राज रस्तोगी
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तुषार राज रस्तोगी
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मंगलवार, 29 मार्च 2016
तू ही रहे साथ मेरे
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आह! दुनिया नहीं चाहती मैं, मैं बनकर रहूँ वो जो चाहती है, कहती हैं, बन चुपचाप रहूँ होठ भींच, रह ख़ामोश, ख़ुद से अनजान रहूँ ...
1 टिप्पणी:
शनिवार, 14 सितंबर 2013
हिंदी को प्रणाम
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आता है साल में एक बार कहते जिसे 'हिंदी दिवस' क्यों इसे मनाने के लिए हम सभी होते हैं विवश हिन्द की बदकिस्मती हिंदी यहाँ लाचार ...
1 टिप्पणी:
मंगलवार, 26 फ़रवरी 2013
मुक्ति
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हे प्रभु यह जीवन बहुत विस्तृत है और कठिनाइयाँ अनेक हैं अताह मुसीबतों का सागर सामने हैं कितने ही आस्तीन के सांप फन फैलाये बैठे हैं...
2 टिप्पणियां:
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