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रविवार, 10 अप्रैल 2022
आई माई मेरी अम्मा है प्राण सी
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रूपसी थी कभी चांद सी तू खिली ओढ़े घूंघट में तू माथे सूरज लिए नैन करुणा भरे ज्योति जीवन लिए स्वर्ण आभा चमक चांदनी से सजी गोल पृथ्वी झुलाती ज...
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