मुक्तक
जो दे एहसास माता का, उसे हम सास कहते हैं
पराई आस,पर खुद का ,जो हो विश्वास कहते हैं
बिना मतलब जरूरत के, बिना रोके बिना टोके,
लोग बकबक जो करते हैं ,उसे बकवास कहते हैं
मदन मोहन बाहेती घोटू
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।