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बुधवार, 10 अप्रैल 2024

रोज ही रात पड़ने पर, नींद आंखों में घुल जाती 

किसी का फोन आता है, नींद झट से है खुल जाती 

जगाती लाख है पत्नी ,मगर हम उठ नहीं पाते 

पलंग पर पांव फैला कर ,भरा करते हैं खर्राटे 

बड़ी मस्ती के आलम में, मुंह को ढक के चादर से 

करो कोशिश कितनी भी ,नहीं उठ पाते 

बिस्तर से 

डूबते रहते आलस में ,हमेशा पागलों भांति किसी का फोन आ जाता ,नींद झट से है खुल जाती 


जगाया कूक कोयल ने, मधुर से गीत गा 

 गाकर 

बोलकर कुकड़ू कूं मुर्गा,थक गया पंख फैला कर 

थपथपा कर हवा ने भी ,जगा दें हमको, कोशिश की 

सूर्य की किरणों ने आकर, उठा दे हमको

साजिश की

 झटक कर लेकिन उठ जाते,फोन की घंटी जब आती 

किसी का फोन आ जाता,नींद झट से है खुल जाती


मदन मोहन बाहेती घोटू

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