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सोमवार, 27 नवंबर 2023

नया वर्ष आया नया वर्ष रे

मिलकर मनाओ सभी हर्ष रे 

वेलकम 2024वेलकम 2024 

अपने संग तुम लेकर आना,

 खुशियां मोर ही मोर 

वेलकम 2024 


फूले फले सभी का जीवन 

और दिनों दिन करें प्रगति हम 

रहे सभी में भाईचारा 

 प्रेम भाव से करें गुजारा 

अपने संग तू लेकर आना 

सुख शांति का दौर 

वेलकम 2024 वेलकम 2024 


हर दिन सब खुशियों से खेलें

नहीं कोई बीमारी फैले 

करें प्रगति सब बढ़ते जाएं 

हर दिन हम त्योहार मनाए 

हटे गरीबी, रहे न कोई 

दीन दुखी कमजोर 

वेलकम 2024 वेलकम 2024 


बने राम का मंदिर प्यारा

बांके बिहारी का गलियारा 

अग्रणीय हो देश हमारा 

विश्व गुरु हम बने दोबारा 

भारत देश की कीर्ति पताका ,

लहराये चहुं ओर

वेलकम 2024 वेलकम 2024


मदन मोहन बाहेती घोटू

शनिवार, 25 नवंबर 2023

इंतजार ,अगली दिवाली का


दीपावली पर सब आए थे

मन उमंग और जोश भरे थे 

पूरे घर भर में रौनक थी ,

कोने-कोने दीप जले थे 

जब पूरा परिवार साथ हो ,

भाई ,भाभी, बेटे ,पोती 

सब मिलकर के जश्न मनाते ,

तब असली दिवाली होती 

साथ बैठकर खाना पीना 

लक्ष्मी पूजा ,आतिशबाजी 

हल्ला गुल्ला,शोर शराबा ,

कभी ताश की लगती बाजी

अन्नकूट और भाई दूज के 

बाद सभी लौटे अपने घर 

गई चांदनी चार दिनों की,

 फिर से वही पुराना मंजर 

घर में हम दो बूढ़े बुढ़िया 

वक्त अकेले काट रहे हैं 

बची प्यार की पूंजी है जो 

वह हंस-हंसकर बांट रहे हैं 

याद किया करते बीते पल 

बंधा प्यार से परिवार है 

आने वाली दिवाली का 

हमको फिर से इंतजार है 


मदन मोहन बाहेती घोटू 

मोदी तेरे कई विरोधी

प्रगति के हैं सब अवरोधी

सारे के सारे बौराये ,

तूने उन्हें पटकनी जो दी

मोदी ,तेरे कई विरोधी 


एक पप्पू है बाल पक गए,

 पर बुद्धि पर असर नहीं है 

अंट शंट वो क्या बकता है,

 खुद को इसकी खबर नहीं है 

उल्टी सीधी हरकत करके,

 कांग्रेस की नाव डुबो दी

मोदी ,तेरे कई विरोधी 


एक है चारा चोर जेल से 

निकला फिर भी फैल रहा है 

बेटे को सत्ता दिलवा दे ,

रोज खेल कुछ खेल रहा है 

और नीतीश ने बचकुची थी 

वो भी सभी प्रतिष्ठा खो दी

मोदी, तेरे कई विरोधी 


मुफ्त रेवड़ी बांट बांट कर 

झूठ बोल सत्ता में आया 

उल्टे सीधे खेल-खेल कर 

खूब कमाया, जी भर खाया 

तीन मंत्री आज जेल में 

भ्रष्टाचार के हैं आरोपी 

मोदी ,तेरे कई विरोधी 


अखिलेश है आग उगलता,

अंट शंट,ओबीसी वकता

स्टालिन भी देता गाली ,

उद्धव पगलाया सा लगता 

जाने क्या-क्या कहती रहती,

 चुप ना रहती ममता, क्रोधी 

मोदी ,तेरे कई विरोधी 


परिवारवादी सबके सब ,

लेकिन तू प्रगति वादी है 

भारत के जन जन सेवा हित 

तूने अपनी उमर खपा दी 

लोहपुरुष ,निर्भीक चला चल 

हरदम जीत सत्य की होती 

मोदी ,तेरे कई विरोधी


मदन मोहन बाहेती घोटू

गुरुवार, 23 नवंबर 2023

My trip to Lucknow


 It was a beautiful place

I seen lu lu mall

It was a very big place 

it was a big mall!!
Then i gone inside there
It was very long!

















गुरुवार, 16 नवंबर 2023

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रविवार, 12 नवंबर 2023

हां,हम दिल्ली में रहते हैं 


जुलूस, रैलियां और धरनों की,

पीड़ाएं निश दिन सहते हैं

हां,हम दिल्ली में रहते हैं


बड़ी अभागन है यह दिल्ली,

परेशान रहती बेचारी 

इसका मालिक कौन 

हो रही राज्य केंद्र में मारामारी

कहे केजरी ये मेरी है,

राज्यपाल अपनी बतलाता 

इन दोनों की खींचतान में ,

दम दिल्ली का निकला जाता 

हम पिसते रहते मुश्किल में

नहीं किसी से कुछ कहते हैं 

हां , हम दिल्ली में रहते हैं 


मुफ्त रेवड़ी बांट बांट कर 

मुख्यमंत्री बना जुगाड़ू 

ऐसा चिन्ह चुनाव बनाया 

दिल्ली पर लगवा दी झाड़ू 

कर ढपोर शंखों  से वादे 

करता बातें ऊंची ऊंची 

काम एक भी ना कर पाया

रही प्रदूषित दिल्ली समूची 

अब भी कचरे के पहाड़ से ,

बदबू के झोंके बहते हैं 

हां ,हम दिल्ली में रहते हैं 


हवा भरी है धूल ,धुंवे से,

मुश्किल श्वास, घुट रहा दम है

खांसी और खराश गले में,

आंखों में हो रही जलन है

वृद्ध घूमने अब ना जाते,

बच्चे बाहर खेल न पाते

वातावरण और शासन का

पॉल्यूशन हम झेल न पाते

झाग भरी जमुना मैया की

आंखों से आंसू बहते है

हां, हम दिल्ली में रहते हैं


घर से हुआ निकालना मुश्किल,

बाहर जाते, मन घबराता

दिन में सूरज, दिखे चांद सा,

और चांद तो नज़र न आता

परतें काले अंधियारे की,

छाई मन के अन्दर, बाहर

क्या ऐसे ही जीना होगा,

हमको जीवन भर, घुट घुट कर

छट दिवाली मना न पाते,

सूने सब उत्सव रहते हैं

हां, हम दिल्ली में रहते हैं 


मदन मोहन बाहेती घोटू

गुरुवार, 9 नवंबर 2023

दीपावली पर भेंटआई 

एक सदाबहार मिठाई ?


बड़े प्रेम से और हर्ष से दीपावली मनाई जाती 

इष्ट मित्र रिश्तेदारों से,बहुत मिठाई है आ जाती 

रसगुल्ला ,मिठाई छेने की, दो दिन में निपटा देते हम

 क्योंकि अगर जो हुई पुरानी ,उन में आ जाता खट्टापन 

भले जलेबी हो या इमरती ,अच्छी लगती गरम-गरम है 

गाजर हलवा गरम सुहाता ,जब होता ठंडा मौसम है 

काजू कतली थोड़े दिन में, चिपचिप करती नहीं सुहाती 

और सभी रस भरी मिठाई ,कुछ दिन में

सूखी पड़ जाती 

सब मिठाईयां होती बासी ,कुछ दिन में ढल जाए जवानी 

केवल एक मिठाई ऐसी, जिसका नहीं कोई भी सानी 

वह चिरयुवा ,स्वाद और सुंदर ,मुंह में रखो पिघल जाती है 

पीतवर्ण,मनभावन ,प्यारी , सोहनपपड़ी कहलाती है 

उसका लंबा टिकने वाला , यौवन ही उसका दुश्मन है 

इस दिवाली भेंट मिली तो अगली तक निपटाते हम हैं

सबसे सुंदर स्वाद स्वदेशी ,यह मिष्ठान बड़ा प्यारा है 

कभी प्रेम से खा कर देखो इसका स्वाद बड़ा न्यारा है 

चॉकलेट से ज्यादा प्यारी ,पर लोगों नाम धर दिया 

इसके स्वस्थ दीर्घ जीवन ने,है इसको बदनाम कर दिया 

सोहनपपड़ी भेंट मिले तो, सुनो दोस्तों डब्बा खोलो 

उसका प्यारा स्वाद चखो तुम ,अपने मुंह में अमृत घोलो 


मदन मोहन बाहेती घोटू

बुधवार, 1 नवंबर 2023

एक शेर : हो गया ढेर


हां मैं  कभी शेर था 

सब पर सवा सेर था 

रौबीला ,जोशीला ,जवानी से भरपूर था अपनी ताकत के नशे में चूर था 

गर्व से दहाड़ा करता था 

हर कोई मुझसे  डरता था 

फिर एक दिन में एक चंचल हिरणिया 

के चक्कर में पड़ गया 

उसके प्यार का भूत मेरे सर पर चढ़ गया मैं उसकी प्यारी आंखों का हो गया दीवाना वह बन गई मेरी जाने जाना 

मुझे उस हो गया उससे प्यार 

उसकी अदाओं ने ,कर लिया मेरा शिकार 

मेरा सारा शेरत्व हो गया गुम 

मैं उसके आगे हिलाने लगा दुम 


और फिर जब पड़ा गृहस्थी का बोझ 

मैं नौकरी पर जाने लगा रोज 

पर वहां मेरा बॉस था एक गधा 

मुझ पर रौब डालता था  था सदा 

कई बार गुस्सा तो इतना आता था कि  झपट्टा मार कर उसे खा जाऊं 

पर मैं उसका मातहत था ,

उसके आगे करता था म्याऊं म्याऊं 

हालत में मुझे कहां से कहां ला दिया था एक शेर को बिल्ली बना दिया था 


फिर मेरे घर जन्मे दो प्यारे बच्चे

कोमल मुलायम खरगोश की तरह अच्छेे

वे मेरे मन को बहुत भाते थे 

मेरे साथ खेलते थे ,

कभी गोदी में कभी सर पर चढ़ जाते थे 

मैं उनको पीठ पर बिठा कर घुमाता था अपने प्यारे प्यारे खरगोशों के लिए 

मैं घोड़ा बन जाता था 


फिर एक दिन में हो गया रिटायर 

और धीरे धीरे बन गया एकदम कायर

मेरे अंदर का बचा कुछ शेर 

धीरे-धीरे हो गया ढेर

हर शहर का शायद यही होता हैअंत 

कि बुढ़ापे में वह बन जाता है संत 


मदन मोहन बाहेती घोटू