पृष्ठ

गुरुवार, 17 अगस्त 2023

सांत्वना

प्रिया 
तुमने दिन भर काम किया 
थक गई होगी 
आओ तुम्हारे पांव दबा दूं 
सर दर्द हो रहा होगा 
बाम लगाकर तुम्हारा सर सहला दूं 
थोड़ा सा लेट जाओ 
कुछ देर सुस्तालो 
जरूरत हो तो पेन किलर की गोली खा लो 
अरे कुछ नहीं जी 
यह तो रोज-रोज का काम है 
उमर हो गई है इसीलिए 
आ जाती थोड़ी थकान है 
क्या करूं काम में इतना व्यस्त रही 
कि तुम्हारा ध्यान भी नहीं रख पाई 
दिनभर कितनी ही बार तुमने पुकारा 
पर मैं ना आई 
तुमने ले तो ली थी ना टाइम पर दवाई 
पर जब कभी-कभी आ जाते हैं मेहमान 
तो रखना पड़ता है उनका ध्यान 
तुम भी कितना सहयोग करते हो 
सभी का पूरा ध्यान रखते हो 
आजकल कौन किसके यहां जाता है 
जहां प्यार मिलता है वही तो कोई आता है 
सब आते हैं तो यह सूना घर 
चहल पहल से जाता है भर
रौनक छा जाती है वीराने में 
त्यौहार का मजा ही है मिलकर के मनाने में 
रिश्ते बंधे रहते हैं टूटते नहीं है 
यह प्यार के बंधन हैं, छूटते नहीं है 

मदन मोहन बाहेती घोटू 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।