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गुरुवार, 25 मई 2023

जीवन संध्या 

सर की खेती उजड़ गई है 
तन की चमड़ी सिकुड़ गई है 
मुंह में दांत हो गए हैं कम 
आंखों से दिखता है मध्यम
 सहमी सहमी चाल ढाल है 
 याददाश्त का बुरा हाल है 
 नींद आती है उचट उचट कर 
 सोते, करवट बदल-बदल कर 
 बीमारी का जोर हुआ है 
 पाचन भी कमजोर हुआ है 
 कांटे वक्त नहीं है कटता 
 बार-बार मन रहे उचटता 
 हाथ पांव में बचा नहीं दम 
 थोड़ी मेहनत कर थकते हम 
 बढ़ा हुआ रहता ब्लड प्रेशर 
 मीठा खा लो, बढ़ती शक्कर 
 चाट पकोड़े खाना वर्जित 
 खाओ दवाई ,पियो टॉनिक 
 खेल बुढ़ापे ने है खेला 
 आई जीवन संध्या बेला 
 किंतु बुलंद हौसले फिर भी 
 मस्ती से हम जीते फिर भी

मदन मोहन बाहेती घोटू 

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