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रविवार, 12 फ़रवरी 2023

जीवंत जीवन 

अब जीवन जीवंत हो गया 
राग द्वेष तज, संत हो गया 

ऐसा ज्ञान प्रकाश मिल गया 
मन का सोया कमल खिल गया 
जागृत अंग अंग है तन का 
जगमग हर कोना है मन का 
सुख, प्रकाश, अनंत हो गया 
अब जीवन जीवंत हो गया 

नव ऊर्जा है नव उमंग है 
हुआ प्रफुल्लित अंग अंग है 
ऐसा लगता उग आए पर 
भर उड़ान, मैं छू लूं अंबर 
यह मन एक पतंग हो गया 
अब जीवन जीवंत तो हो गया 

तन में नई चेतना आई 
महक उठी मन की अमराई 
फूल खिल गए उपवन उपवन 
लगता बदला बदला मौसम 
था जो शिशिर,बसंत हो गया 
अब जीवन जीवंत हो गया 

आई कितनी ही विपदायें
व्याधि , रोग और कई बलायें
 मैं सब से टकराया , जूझा 
 सच्चे मन से प्रभु को पूजा 
 खुशी मिली ,आनंद हो गया 
 अब जीवन जीवंत तो हो गया 
 
भूले अपना और पराया 
सबको अपने गले लगाया 
समझे मर्म सभी धर्मों का 
पथ अपनाया सत्कर्मों का
इच्छाओं का अंत हो गया 
अब जीवन जीवंत हो गया 

मदन मोहन बाहेती घोटू

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