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शुक्रवार, 7 अक्टूबर 2022

प्रतिबंधित खानपान 

मुझको मेरी बीमारी ने
 कैसे दिन दिखलाए
 ये मत खाओ ,वो मत खाओ ,
 सब प्रतिबंध लगाए
 जितना ज्यादा रिस्ट्रिक्शन है ,
 उतना मन ललचाए 
 कितने महीने बीत गए हैं ,
 चाट चटपटी खाए 
 गरम गरम आलू टिक्की की,
  खुशबू सौंधी प्यारी 
  भाजी और पाव खाने को ,
  तरसे जीभ हमारी 
  फूले हुए गोलगप्पे भर ,
  खट्टा मीठा पानी 
  ठंडे ठंडे दही के भल्ले 
  पापड़ी चाट सुहानी 
  प्यारी भेलपुरी बंबइया 
  बड़ा पाव की जोड़ी 
  भूल न पाए भटूरे छोले 
  जिव्हा बड़ी चटोरी 
  चीनी चाऊमीन के लच्छे ,
  और मूंग के चीले 
  गरम समोसे और कचोरी ,
  बर्गर बड़े रसीले 
  कितने दिन हो गए चखे ना 
  मिष्ठानो को भूले 
  गरम जलेबी, गाजर हलवा,
   रसमलाई, रसगुल्ले 
   कब से फिर वे स्वाद चखेंगे,
   तरसे जीभ हमारी 
   हे प्रभु शीघ्र ठीक कर दे तू 
   मेरी सभी बीमारी
   हटे सभी प्रतिबंध ठीक से 
   खुल कर ,जी भर खाऊं 
   सवा किलो बूंदी के लड्डू का,
    मैं परसाद चढ़ाऊं

मदन मोहन बाहेती घोटू 

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