पृष्ठ

शुक्रवार, 26 अगस्त 2022

चंदन की हो या बबूल की,
 हर लकड़ी के अपने गुण है 
 लेकिन जब वह जल जाती है 
 सिरफ राख ही रह जाती है 
 
मैली बहती गंदी नाली ,
जब मिल जाती है गंगा से 
अपनी सभी गंदगी खो कर ,
वह भी गंगा बन जाती है  

अगर फूल गिरता माटी पर,
 मिट्टी भी खुशबू दे देती ,
 सज्जन संग सत्संग हमेशा 
 मन को शुद्ध किया करता है 
 
अच्छे कर्म किए जीवन के 
आया करते काम हमेशा 
मानव देव पुरुष बन जाता
 घड़ा पुण्य का जब भरता है

मदन मोहन बाहेती घोटू 

1 टिप्पणी:

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।