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गुरुवार, 7 अप्रैल 2022

सन्यास आश्रम 

हम सन्यास आश्रम की उम्र में है मगर संसार नहीं छूटता 
लाख कोशिश करते हैं मगर मोह का यह जाल नहीं टूटता 
हमारे बच्चे भी अब होने लग गए हैं सीनियर सिटीजन 
पर बांध कर रखा है हमने मोह माया का बंधन शरीर में दम नहीं है ,हाथ पैर पड़ गए है ढीले 
मगर दिल कहता है, थोड़ी जिंदगी और जी ले 
जब तलक लालसाओं का अंत नहीं होता है 
सन्यासआश्रम में होने पर भी कोई संत नहीं होता है 

मदन मोहन बाहेती घोटू 

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