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मंगलवार, 15 मार्च 2022

बुढ़ापे में मियां बीवी का प्यार 

कभी झगड़ा ,कभी तकरार 
कभी बातों का प्रहार ,कभी तानो की बौछार 
एक दूसरे को टोकना बार बार
कभी जीत ,कभी हार 
कभी रूठना ,कभी मनवार 
और यूं ही निकाल लेना मन का गुबार 
कभी पिता सा गुस्सा ,कभी मां का दुलार 
बस यही है बुढ़ापे में मियां बीवी का प्यार 

दो प्राणी अकेले बुढ़ापे की मार झेलते हैं 
समय नहीं कटता तो झगड़ा झगड़ा खेलते हैं 
एक दूसरे का सहारा देकर साथ साथ चलना
किसी का सिर दुखे तो बाम मलना 
थोड़ा सा सहलाना ,अपना मन बहलाना 
इतना सीमित रह गया है आजकल अभिसार
 बुढ़ापे में यही है मियां बीवी का प्यार  
 
 नहीं है चिंतायें पर उदास रहता है मन 
 बात बिना बात ही हुआ करती है अनबन 
 फिर एक दूजे को कोई ऐसे मनाता है 
 पत्नी पकोड़े बनाती, पति आइसक्रीम खिलाता है 
 इन्हीं छोटी-छोटी बातों में सिमट गया है संसार 
 बस यही है, बुढ़ापे में मियां बीवी का प्यार 
 
 जब त्योहारों पर बच्चों के शुभकामना संदेश आते हैं थोड़ी देर ,दोनों बच्चों की तरह खुश हो जाते हैं 
 उनके सुखी जीवन के लिए दुआएं देते हैं  
 उनकी खैरियत को अपनी ख़ैरियत बना लेते हैं 
 बहू बेटी पोता पोती मिलने को भी आते हैं ,
 पर वही साल में एक दो बार 
 बस यही है बुढ़ापे में मियां बीवी का प्यार 
 
 कभी कोई हावी है कभी कोई झुकता 
 याद बीती बातें कर ,आती भावुकता  
 किसी से नहीं रही, कोई भी आकांक्षा
  बस दोनों स्वस्थ रहें इतनी सी अभिलाषा
  सुखी रहे घोसले में सिमटा हुआ परिवार 
  बस यही है बुढापे में मियां बीवी का प्यार 

मदन मोहन बाहेती घोटू

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