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शुक्रवार, 14 मई 2021

सांत्वना

यादें कल की थोड़ा तो तड़फायेगी
आदतें  तन्हाई की पड़ जायेगी
जीना है तो सम्भलना ही पड़ेगा ,
मुश्किलें वर्ना बहुत बढ़ जायेगी
आशाओं का सूर्य जब होगा उदय ,
गम की बदली छायी जो,छट जायेगी
जिंदगी में आई है जो खाइयां ,
समय के संग संग ,सभी पट जायेगी
जीने की जागेगी मन में फिर ललक,
और चिंताये भी कुछ घट जायेगी
हौंसला रखना पडेगा आपको ,
लम्हा लम्हा जिंदगी कट जायेगी

मदन मोहन बाहेती 'घोटू ' 

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