पृष्ठ

शनिवार, 22 मई 2021

ऑक्सीजन
 हवा अहम की भरी हुई मगरूर बहुत था
  बहुत हवा में उड़ता मद में चूर बहुत था 
  खुद पर बहुत गर्व था नहीं किसी से डरता
   अहंकार से भरा हुआ था डींगे भरता 
   किंतु करोना ऐसा आया हवा बदल दी 
   मुझे हुआ एहसास बहुत थी मेरी गलती 
   बौना है इंसान नहीं कुछ भी कर सकता 
   पड़े नियति की मांग सिर्फ रह जाए बिलखता
   लेती श्वास हवा ,पर पीती ऑक्सीजन है 
   ऑक्सीजन के कारण ही चलता जीवन है
    मन का मेल निकाल, हटी जब नाइट्रोजन 
    निर्मल मन हो गया ,रह गई बस ऑक्सीजन

घोटू

2 टिप्‍पणियां:

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।