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मंगलवार, 20 अप्रैल 2021

तुम्हे गोरैया, आना होगा

कभी सवेरे रोज चहक कर
हमें जगाती थी चीं चीं  कर
बच्चों सी  भरती  किलकारी
कहाँ गयी गौरैया  प्यारी
तुमसे बिछड़े ,बहुत दुखी हम
लुप्त कर रहा तुम्हे प्रदूषण
पर्यावरण बिगाड़ा हमने
तेरा नीड उजाड़ा हमने
हमने काटे जंगल सारे
हम सब है दोषी  तुम्हारे
किन्तु आज करते है वादा
पेड़ उगायेंगे हम ज्यादा
सभी तरफ होगी हरियाली
गूंजे चीं चीं ,चहक तुम्हारी
तरस रहे है कान हमारे
आओ ,फुदको,आंगन ,द्वारे
मौसम तभी सुहाना होगा
तुम्हे गौरैया ,आना होगा

घोटू 

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