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बुधवार, 14 अप्रैल 2021

चोर का चक्कर

कुछ और की ख्वाइश की मैंने ,लेकिन मुझको कुछ और मिला
जिस ओर न जाना चाहा था,मुझको जीवन उस ओर  मिला

वो मेरी ओर देख कर के ,बस थोड़ा सा मुस्काई थी
पर ये अंदाज ,अदा प्यारी ,कुछ ऐसी मन को भायी थी
उसकी उस पहली एक झलक ने चुरा लिया मेरे दिल को
संग चुरा ले गयी ,चैन ,नींद ,कुछ कह न सका उस कातिल को
उसके संग मिल ,चोरी चोरी ,मैंने सीखा चोरी का फ़न
उसके रस भीने ,होठों से ,कितने ही चुरा लिए चुंबन
पूरा जीवन ,उस संग काटा ,ऐसा मुझको ,चितचोर मिला
कुछ और की ख्वाइश की मैंने ,लेकिन मुझको कुछ और मिला

मैं रहा भटकता ,ठौर ठौर ,लेकिन जब कोई ठौर मिला
तो मुझे वहां भी ,वो नटखट ,कान्हा था माखन चोर मिला
भोली भाली ,गोपी सखियाँ और राधा का दिल लिया चुरा
एक रोज अचानक भाग गया ,कर गया पलायन वो मथुरा
कोई कामचोर ,कोई दामचोर ,चोरों से पाला पड़ा सदा
वो मुझसे नज़र चुराता है ,अहसानो से ,जो मेरे लदा
मुझसे जो भी आ टकराया ,वो चोरी में सिरमौर मिला
कुछ और की ख्वाइश की मैंने ,लेकिन मुझको कुछ और मिला

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

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