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शनिवार, 3 अप्रैल 2021

जिंदगी

हमने  जैसे तैसे कर के ,बस गुजारी जिंदगी
दूसरों खातिर  लुटा दी अपनीसारी  जिंदगी
भाव में  बहते रहे और पीड़ाएँ  सहते रहे ,,
उलझनों में रही उलझी सीधीसादी जिंदगी
सबको खुश करने के चक्कर में न कोई खुश रहा ,
और हमने व्यर्थ ही अपनी गमा दी जिंदगी
भूल कर भी आजकल वो ,पूछते ना हाल है ,,
जिनके खातिर दाव  पर ,हमने लगा दी जिंदगी
किसीकी भी जिंदगी में ,दखल देना है गलत ,
हमने जी ली अपनी ,तुम जी लो तुम्हारी जिंदगी  

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

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