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सोमवार, 22 मार्च 2021

एक लड़की सांवली सी

भोलीभाली और भली सी
एक सांचे में ढली सी
मुझे केरल में मिली थी ,
एक लड़की सांवली सी

उम्र के तूफ़ान में  थी
जवानी परवान पर थी
रूप था निशदिन निखरता
आ रही तन में सुगढ़ता
देख निज यौवन उभरता ,
हो रही कुछ बावली सी
एक लड़की सांवली सी

सोचती कुछ ,मुस्कराती
बिना मतलब खिलखिलाती
गाल पर गुलमोहर खिलते
पंखुड़ियों से होठ हिलते
मन तरंगित ,तन तरंगित ,
अधखिली कोई कली सी
एक लड़की सांवली सी

नयन सुन्दर ,चपल,चंचल
बदन पर टिकता न आँचल
अमलताशी हाथ पीले
हाव भाव  सब नशीले
प्यास तन मन की बुझाने ,
हो रही उतावली सी
एक लड़की सांवली सी

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

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