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बुधवार, 6 जनवरी 2021

चले थी जहाँ से ,वहीँ आ गये  है

अनजान थे हम ,जान आ गयी थी ,
हुआ था मिलन जब,हमारा,तुम्हारा
जीवन सफर की ,शुरुवात की थी ,
एक दूसरे का ,लिया था सहारा
बड़ी मुश्किलें थी ,कठिन रास्ता था ,
कहीं पर थे कांटे,कहीं ठोकरें थी
कभी सर्दी गर्मी ,कभी बारिशें थी ,
मौसम की गर्दिश ,हमे तंग करे थी
चमन में हमारे ,खिले फूल प्यारे ,
एक नन्ही  जूही ,एक गुलाब प्यारा
मधुर प्यार की जिनने खुशबू बिखेरी ,
महकाया जीवन ,सजाया ,संवारा
मगर वक़्त ने चक्र ,ऐसा चलाया ,
दामाद आया ,गया ले कर   बेटी
करी शादी बेटे की ,लाये बहू हम ,
बसा घर अलग ,दूर हमसे वो बैठी
बढ़ती उमर ने ,सितम ऐसा ढाया ,
बुढ़ापे में फिरसे ,हो तनहा गये  है
फिर से वही,दो के दो रह गए हम ,
चले थे जहाँ से ,वहीँ आ गये  है

घोटू  

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