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बुधवार, 4 नवंबर 2020

करारापन लिए तन है
भरा मिठास से मन है
सुनहरी इसकी रंगत है
बड़ी माशूक तबियत है
नज़र पड़ते ही ललचाती
हमारे मन को  उलझाती
बहुत ही प्रिय ये सबकी है
गरम हो तो गजब की है
बड़ा इसमें है आकर्षण
लुभा लेती है सबका मन
हसीना ये बड़ी दिलकश
टपकता तन से यौवन रस
बड़ी कातिल ,फरेबी है
मेरी दिलवर ,जलेबी है

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

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