पृष्ठ

रविवार, 27 सितंबर 2020

उल्लू बदल गया

रौब मत दिखा ,खाली पीली
मुझे मत सीखा खालीपीली
मुझे तेरी औकात पता है
औरअसली हालत पता है
तुझमे बाकी कितना दमखम
तू कितना बुद्धू है ,बौड़म
दिन में सबसे आँख छिपाता
रात्रिकाल में ही दिखलाता
जब लक्ष्मी वाहन बन बैठा
बस तब से रहता  तू ऐंठा  
बड़ों साथ संपर्क बनाया  
गर्वान्वित रहता इतराया
वरना तू था ,एकदम लल्लू
उल्लू अब तू रहा न उल्लू

जब स्कूल में ,पढ़ता था मैं
पल में पाठ ,भूलता था मैं
मास्टर जी थे छड़ी मारते
उल्लू कह,मुझको पुकारते
सरस्वती ,लक्ष्मी वाहन पर
कभी नहीं आती है चढ़ कर
लेकिन आते नज़र आजकल
पनप  रहे है ,उल्लू के दल
उनने लक्ष्मी का दे लालच
लिए खरीद ,सरस्वती सेवक
कर दी सभी व्यवस्था गंदली
उल्लू ,तेरी जात  न बदली
पकड़ा भले सरस्वती पल्लू
उल्लू तू अब रहा न उल्लू

मदन मोहन बाहेती 'घोटू' 

2 टिप्‍पणियां:

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।